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विष्णु सहस्रनाम

विष्णु सहस्रनाम

शास्त्रों में बताया गया है कि भगवान विष्णु सम्पूर्ण जगत और मानव जीवन अर्थात इस सृष्टि के पालनकर्ता है । सभी देवताओ में इस सम्पूर्ण जगत के पालन का कार्यभार भगवान विष्णु जी को दिया गया इसलिए ऐसे प्रभु जो हमारे सम्पूर्ण जीवन की देखरेख करते है , जीवन के संरक्षक हैं और जीवन को बचाते हैं उनकी आराधना और पूजन करना मानव जीवन का परम कर्तव्य है। भगवान विष्णु जी की आराधना करने के लिए अनेक पवित्र श्लोक और पाठ हैं परंतु सबसे प्रभावशाली पाठ विष्णु सहस्रनाम है जो पालनहारी भगवान विष्णु को भी अत्यंत प्रिय है।

विष्णु सहस्रनाम, विष्णु जी के सहस्त्र यानि हज़ार नाम हैं । उनके हज़ार नाम लेकर उनकी स्तुति की जाती है, एक मायने में यह 10 माला का जाप है। इसमे विष्णु के हजार नामों की स्तुति होती है, प्रत्येक नाम के पहले “ॐ” शब्द का उच्चारण होता है जिसे ब्रह्मांड की मूल ध्वनि भी माना जाता है। इसलिए यह बहुत गहरा और शक्तिशाली मंत्र है। यदि विष्णु सहस्त्रनाम का जाप बिना नामों का अर्थ जाने भी किया जाए, तो भी इससे लाभ हो सकता है। भीष्म पितामह का मानना था कि विष्णु सहस्त्रनाम का जाप करने या सुनने से पाप और भय दूर हो सकते हैं।

भीष्म पितामह जब युद्ध के मैदान में वाणों की शय्या पर लेटे थे अंतिम सांस ले रहे थे उस समय भगवान कृष्ण धर्मराज युधिष्ठिर को लेकर भीष्म पितामह जी से मिलने पहुँचे तब पितामह ने भगवान कृष्ण को देखकर उनका वंदन किया और स्वयं द्वारा रचित विष्णु सहस्रनाम का सर्वप्रथम पाठ किया । इस प्रकार भीष्म पितामह जी ने सबसे पहले विष्णु सहस्रनाम का पाठ किया और साथ में ही धर्मराज युधिष्ठिर के द्वारा पूछे गए विभिन्न प्रश्नों का उत्तर देते हुए धर्म के विभिन्न रहस्यों पर उपदेश दिया । धर्मराज युधिष्ठिर ने भीष्म पितामह जी से प्रश्न करते हुए पूछा की हे ! महामहिम कृपया आप मुझे बताए कि – मानव का परम धर्म क्या है और किस जप को करने से मनुष्य जन्म-मरण रूपी सांसारिक-बंधन से मुक्त हो जाता है?

धर्मराज युधिष्ठिर के प्रश्न को सुनकर पितामह ने युधिष्ठिर से कहा कि धर्मराज आपका प्रश्न अति उत्तम है और भीष्म पितामह जी कहते हैं-‘ हे धर्मराज भगवान विष्णु का दर्शन करते हुए शांति से विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करना ही मनुष्य का परम धर्म है।

वैसे तो ब्रह्मांड मे उपस्थित सभी देवताओं के सहस्रनाम का एक अपना अलग महत्व होता है; परंतु सात्विकता की दृष्टि से देखा जाए तो ‘विष्णु सहस्त्रनाम’ पाठ का एक विशेष महत्त्व होता है; क्योंकि विष्णु सहस्त्रनाम में भगवान विष्णु के विशेष गुणों को बखान किया गया है और उनके हज़ार नाम एक प्रकार से उनके हज़ार गुणों का वर्णन हैं। हर एक नाम यह दर्शाता है कि श्री विष्णु किस प्रकार इन गुणों में समाहित हैं।

विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ जातक को क्यों कराना चाहिए?

भगवान विष्णु ही अनेक रूप को धारण करके सम्पूर्ण त्रिलोक में विध्यमान रहते हैं। भगवान विष्णु से अलग कोई सत्य नहीं है, विष्णु से बढ़कर कोई मंत्र जाप नहीं है, श्री विष्णु से बढ़कर कोई ध्यान नहीं है तथा विष्णु से बढ़कर इस जगत में कोई श्रेष्ठ गति नहीं है अर्थात सर्वत्र कण कण मे भगवान विष्णु ही व्याप्त है। विष्णु सहस्त्रनाम पाठ भगवान के प्रति अध्यात्म भाव को बढ़ाने वाला है और मरणोपरांत स्वर्गलोक तक पहुंचने के लिए यह अद्वितीय सीढ़ी है । विष्णु सहस्त्रनाम का जाप करने से व्यक्ति के मन से क्रोध, लोभ, ईर्ष्या आदि अवगुण खत्म हो जाते हैं और वह धन , वैभव ,यश , क्षमा, धैर्य, बुद्धि और कीर्ति आदि सद्गुणों को प्राप्त करता है। उसके साथ इस लोक या परलोक में कहीं पर भी कुछ अशुभ नहीं होता है।

विष्णु सहस्त्रनाम पाठ के एक-एक नाम का जाप करते हुए जो व्यक्ति विष्णु जी को तुलसी दल अर्पण करता है, उसे करोड़ों यज्ञों के अनुष्ठान के समान मनोवांछित फल प्राप्त होता है।

हमारे शास्त्रों के अनुसार इस पाठ का जाप पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ करने से मनुष्य के जीवन में धन, सुख-समृद्धि और शांति बनी रहती है और जीवन की बुरी शक्तियों से रक्षा होती है और वह व्यक्ति जनम -मरण के बंधन से मुक्ति पा लेता है और उसके जीवन की सभी बाधाये दूर हो जाती है। साथ ही उस व्यक्ति पर भगवान विष्णु की कृपा बनी रहती है।

विष्णु सहस्रनाम का पाठ धार्मिक समारोह और गृहप्रवेश के दौरान भी किया जाता है। परंतु जाप करते समय इस बात का ध्यान रखना अत्यंत आवश्यक है कि विष्णु सहस्त्रनाम के पाठ का जाप करते समय कभी भी जल्दबाजी या उतावलापन भूलकर भी नहीं करना चाहिए वरना इस बात में तनिक भी संदेह नहीं करना चाहिए जाप करने वाले व्यक्ति कि आयु व धन का नाश निश्चित है।

अतः व्यक्ति को चाहिए की जब भी वे इस अनुष्ठान का जाप कराए तो सर्वप्रथम यह सुनिश्चित लें कि जाप करने वाले पुजारी योग्य हो अथवा इस जाप के नकारात्मक प्रभाव से बचने के लिए जाप को योग्य पुजारियों या वैदिक अनुष्ठानों में दक्षता प्राप्त व्यक्तियों द्वारा ही किया जाना चाहिए।

विष्णु सहस्रनाम

भगवान विष्णु के 1000 नामों का जाप पापों का अंत करता है और मोक्ष दिलाता है। अनुष्ठान से मिलेगी आरोग्यता, समृद्धि और शांति।

Price : INR 3500/-

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