
सनातन धर्म में भगवान श्री गणेश को प्रथम पूजनीय देवता के रूप में विशेष स्थान प्राप्त है। वे बुद्धि, समृद्धि और विघ्नों के विनाशक के रूप में पूजित हैं। किसी भी शुभ कार्य का आरंभ उनके पूजन और स्तुति के बिना अधूरा माना जाता है। इसी मान्यता को साकार करता है श्री गणपति अथर्वशीर्ष, जो भगवान श्री गणेश को समर्पित एक अत्यंत प्रभावशाली स्तोत्र है। इसका नियमित पाठ न केवल साधक को मनोवांछित फल प्रदान करता है, बल्कि उसके जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का संचार करता है।
श्री गणेश अथर्वशीर्ष अथर्ववेद का एक महत्वपूर्ण भाग है, जिसमें भगवान गणेश की महिमा का अनुपम वर्णन किया गया है। इसमें उन्हें सभी देवताओं में प्रथम पूज्य और सृष्टि के रचयिता, पालनकर्ता, और संहारकर्ता के रूप में चित्रित किया गया है। यह दिव्य स्तोत्र उनके स्वरूप, शक्ति और ब्रह्मांडीय महत्व को उजागर करता है। ऐसा सुंदरतम वर्णन भक्तों को यह समझने में मदद करता है कि वे न केवल विघ्नहर्ता हैं बल्कि बुद्धि और समृद्धि के भी स्रोत हैं।
श्री गणेश अथर्वशीर्ष पाठ भगवान गणेश को प्रसन्न करने, मनोकामनाओं की पूर्ति और विघ्नों के निवारण के लिए अत्यंत प्रभावी माना जाता है। इसका नियमित जप न केवल मानसिक शांति और संतुलन प्रदान करता है, बल्कि जीवन की हर समस्या का समाधान भी करता है। यह पाठ ग्रहों के अशुभ प्रभाव को शांत करने, अनिष्टकारी ग्रहों के नकारात्मक प्रभाव को कम करने और शुभ ग्रहों की ऊर्जा को बढ़ाने में अत्यधिक प्रभावी है। इसके प्रभाव से जीवन में भाग्य और सफलता का उदय होता है। यह दिव्य स्तोत्र आर्थिक कठिनाइयों को दूर कर साधक के जीवन में समृद्धि लाने में सहायक है। नौकरी या व्यापार में बार-बार विफलता का सामना कर रहे लोगों के लिए यह पाठ विशेष रूप से लाभकारी है। यह अनावश्यक बाधाओं को हटाकर उन्नति का मार्ग प्रशस्त करता है।
भगवान श्री गणेश की कृपा से यह अनुष्ठान साधक के जीवन में शुभता और समृद्धि का आधार बनता है। यह पाठ व्यक्ति को आत्मिक और भौतिक दोनों प्रकार के लाभ प्रदान करता है, जिससे उसका जीवन हर दृष्टि से समृद्ध और संतुलित होता है।
गणेश अथर्वशीर्ष पाठ से पाएं बाधाओं से मुक्ति, बुद्धि, सौभाग्य और स्थायित्व का आशीर्वाद। जानें विधि, लाभ और आवश्यक पूजन सामग्री की जानकारी।
Price : INR 1500/-
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