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बुध बलिष्ठ जप
बुध बलिष्ठ जप क्या है?
बुध ग्रह सूर्य के निकटतम ग्रहों में से एक है और आकाशीय ग्रहों में इसे 'राजकुमार' की संज्ञा दी गई है। पंच तत्वों में बुध को पृथ्वी तत्व माना जाता है और इसका रंग हरा है। इस ग्रह को बुद्धि, संवाद, व्यापार, गणित और तर्कशक्ति का कारक माना जाता है। इसका प्रभाव व्यक्ति के मानसिक संतुलन, संवाद क्षमता और व्यापारिक कुशलता पर महत्वपूर्ण होता है। बुध की स्थिति यदि कुंडली में मजबूत हो तो व्यक्ति बुद्धिमान, तार्किक, और व्यापार में सफल होता है। इसके विपरीत, दुर्बल बुध व्यक्ति को भ्रमित, मानसिक तनावग्रस्त और व्यापार में असफल बना सकता है। बुध ग्रह के अशुभ प्रभाव से जातक को स्मरण शक्ति की हानि, सिर दर्द, त्वचा की बीमारियाँ, दौरे, चेचक, पित्त ,कफ, गूंगापन, उन्माद और वायु संबंधी बीमारियों आदि समस्याओं का सामना करना पड़ता है ।
इसलिए अगर बुध आपकी कुंडली में दुर्बल स्थिति में है तो यह आपको अनेक प्रकार की पीड़ाएं देगा साथ ही यदि बुध आपका लग्नेश है तो यह आपके व्यक्तित्व पर बुरा असर डालेगा। ऐसी स्थिति में बुध के अशुभ प्रभावों को कम करने के लिए बुध को प्रबल करना बहुत ही जरूरी होता है। इसे प्रबल करने का सबसे बेहतर तरीका एक मात्र जप ही है, जिससे बुध ग्रह बहुत जल्द मजबूत स्थिति प्राप्त करते हैं । जप दो प्रकार के मंत्रों से किया जाता है- तांत्रिक और वैदिक मंत्र । तांत्रिक मंत्र छोटा होता है जिसका असर कम होता है और वैदिक मंत्र बड़ा होता है उसका असर ज्यादा और दीर्घगामी होता है। यदि आपकी कुंडली में स्थित बुध आपको अशुभ फल दे रहा है तो बुध ग्रह को बलिष्ठ करने हेतु वैदिक मंत्रों का जप अवश्य कराना चाहिए।
बुध जप से बढ़ाएं स्मरण शक्ति, मानसिक संतुलन, संवाद कुशलता और व्यापारिक सफलता। जानिए विधि, लाभ और पूजन सामग्री की सम्पूर्ण जानकारी।
Price : INR 1500/-
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400+ Types of Puja
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