
अतिरुद्र अनुष्ठान
अतिरुद्र अनुष्ठान भगवान शिव की महिमा और उनकी दिव्य कृपा प्राप्त करने के लिए किया जाने वाला सबसे श्रेष्ठ और शक्तिशाली अनुष्ठान है। इसमें एकादशिनी रुद्री (रुद्र अध्याय का ग्यारह चक्रों में पाठ) को 1331 बार किया जाता है। यह अनुष्ठान अकाल मृत्यु, असाध्य रोगों और ग्रहों के प्रतिकूल प्रभावों से मुक्ति प्रदान करता है। यह मानव जीवन की सभी नकारात्मक शक्तियों को दूर कर भयमुक्ति प्रदान करता है। अतिरुद्र अनुष्ठान तीन प्रकार से किया जा सकता है: पाठात्मक (केवल मंत्रों का पाठ), अभिषेकात्मक (मंत्रों के साथ जल, दूध आदि से भगवान शिव का अभिषेक), हवनात्मक (मंत्रों के साथ अग्निहोत्र) । यह अनुष्ठान सभी देवी-देवताओं को प्रसन्न करने वाला होता है और इसे करने से व्यक्ति के जीवन में कल्याणकारी मार्ग खुलते हैं।
अतिरुद्र अनुष्ठान किसे करानी चाहिए ?
अतिरूद्र अभिषेक सभी रूद्र अभिषेकों में सबसे श्रेष्ठ है। अति रूद्र महायज्ञ सभी महायज्ञों में सबसे शक्तिशाली है। यह अनुष्ठान दुःख, असामयिक मृत्यु, भय, असाध्य रोग, शनि, राहु और केतु के अशुभ प्रभाव के साथ-साथ पैतृक पाप, ज्ञात और अज्ञात और पिछले जीवन के बुरे कर्मों के प्रभाव को कम करने में अत्यंत लाभकारी है।
शिव मंत्र का जप मानव जीवन के समग्र कल्याण के लिए लाभकारी है। अतिरुद्र अनुष्ठान विभिन्न समस्याओं, भय, तनाव और अहंकार से राहत प्रदान करके व्यक्तियों को अत्यधिक लाभ प्रदान करता है। यह किसी व्यक्ति के जीवन पर ग्रहों के प्रतिकूल प्रभावों को भी कम करता है और उन्हें असाध्य बीमारियों से मुक्त करता है, जिससे उनका लंबा और स्वस्थ जीवन सुनिश्चित होता है।
अतिरुद्र अनुष्ठान से दूर करें दुर्भाग्य, रोग और डर। पाएं सुख, समृद्धि, मोक्ष और ग्रह दोषों से मुक्ति शिव की विशेष कृपा से।
Price : INR 101000/-
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