
महामृत्युंजय जप
सनातन परंपरा में भगवान शिव का स्थान अद्वितीय और सर्वोच्च है। उन्हें महादेव' के रूप में पूजा जाता है, जो स्वयं कालों के काल- महाकाल हैं। शिव की अनंत कृपा से गंभीर से गंभीर संकट भी क्षण भर में समाप्त हो सकते है। हमारे धर्मग्रंथों में भगवान शिव के अनेक दिव्य स्वरूपों और उनकी महिमा का विस्तृत वर्णन मिलता है, साथ ही इन्हें प्रसन्न करने व उनकी कृपा प्राप्ति के लिए अनेक मंत्रों का भी उल्लेख किया गया है। इनमें से महत्वपूर्ण दिव्य और शक्तिशाली मंत्र है 'महामृत्युंजय मंत्र', जिसे शास्त्रों में अत्यधिक चमत्कारी और जीवनदायिनी कहा गया है।
महामृत्युंजय मंत्र केवल एक मंत्र नहीं, बल्कि यह एक अनुष्ठानात्मक क्रिया है जिसे वैदिक विधि के साथ किया जाता है। इसे 'संजीवनी मंत्र' भी कहा जाता है, क्योंकि इस मंत्र के जप का प्रभाव इतना शक्तिशाली है कि जब व्यक्ति किसी असाध्य रोग से पीड़ित हो और जीवन की सभी आशाएं समाप्त हो चुकी हो उस समय यदि इस मंत्र के सवा लाख जप कराए जाएं तो यह मंत्र व्यक्ति को संजीवनी की तरह जीवनदायिनी शक्ति प्रदान करता है, जिससे उसके स्वास्थ्य में दिन प्रतिदिन सुधार देखने को मिलता है। यह मंत्र भगवान शिव की कृपा का ऐसा दिव्य वरदान है, जो व्यक्ति को जीवन के सबसे विकट संकटों से निकालने की शक्ति रखता है। इस मंत्र के शुद्ध उच्चारण सहित नियमित जप से व्यक्ति जीवन के सभी संकटों से मुक्त हो सकता है।
भगवान शिव के इस अद्भुत मंत्र का महत्व केवल संकटों से मुक्ति नहीं दिलाता, बल्कि यह मानसिक और आध्यात्मिक शांति का भी स्रोत है। महामृत्युंजय मंत्र की शक्तिशाली ध्वनि व्यक्ति की आत्मा को शुद्ध करके उसे अमृतमय शांति का अनुभव कराती हैं। यह मंत्र न केवल जीवन को बचाता है, बल्कि जीवन की गुणवत्ता में सुधार भी करता है, मन को शक्ति प्रदान करता है, और आत्मा को परम शांति की ओर पथ प्रदर्शित करता है।
जब कोई व्यक्ति इस मंत्र का वैदिक विधि द्वारा सवा लाख बार जप 5,7,9 या 11 दिन करवाता है, तो उसे शिव की कृपा का ऐसा अनुभव होता है, जैसे अकाल मृत्यु का भय उसके चारों ओर से मिट गया हो और जीवन में एक नई ऊर्जा का संचार हो रहा हो। इस मंत्र की ध्वनि मानो ब्रह्मांड की अनंत शक्तियों को जगाकर व्यक्ति के पक्ष में कर देती है। यही कारण है कि इसे 'मृत्यु को पराजित करने वाला मंत्र' कहा जाता है। यह व्यक्ति की छिपी आत्मिक शक्ति को जाग्रत करता है, शिव की अनंत कृपा से जोड़ता है, और उसे हर संकट से उबार लेता है।
महामृत्युंजय मंत्र का निरंतर जप व्यक्ति के मनोबल को ऊंचा उठाता है और उसे अद्वितीय आत्मिक शक्ति प्रदान करता है। यह मंत्र भगवान शिव की अनंत कृपा का प्रतीक है, जो हर युग में हमारे जीवन को संरक्षित और शांति प्रदान करता आया है।
महामृत्युंजय मंत्र का अर्थ
हम भगवान शिव की पूजा करते हैं, जिनके तीन नेत्र हैं, जो सुगंधित हैं और हमारा पोषण करते हैं। जैसे फल पक जाने पर शाखा के बंधन से मुक्त हो जाता है वैसे ही हम भी मृत्यु और नश्वरता से मुक्त हो जाएं।
महामृत्युंजय मंत्र जप के समय बरती जाने वाली सावधानियाँ
महामृत्युंजय जप, अपनी अत्यधिक शक्ति और चमत्कारी प्रभाव के लिए प्रसिद्ध है। लेकिन इसके प्रभाव को प्राप्त करने के लिए केवल मंत्र का जप करना ही पर्याप्त नहीं है। यदि जप करते समय सावधानियाँ नहीं बरती जाएं या इसे सही विधि से न किया जाए, तो इसके विपरीत प्रभाव भी अत्यंत गंभीर और भयावह हो सकते हैं।
इसलिए, महामृत्युंजय मंत्र का जप कराते समय यह अत्यंत महत्वपूर्ण है कि इसे दक्ष और अनुभवी आचार्य द्वारा वैदिक विधि से संपन्न कराया जाए। सही विधि के अनुसार किया गया जप ही इस मंत्र की पूरी शक्ति और प्रभाव को आपके जीवन में उतार सकता है। वैदिक विधियों के अनुसार, जप की प्रक्रिया केवल तभी सफल होती है जब सभी नियम और विधियों का पालन किया जाए।
इस मंत्र की पूर्णता और लाभ तभी प्राप्त होते हैं जब जप पूरी तरह से वैदिक परंपराओं के अनुसार किया जाए, और इसके लिए एक प्रशिक्षित आचार्य की आवश्यकता होती है। इस प्रकार, महामृत्युंजय जप की प्रभावशीलता और दिव्य शक्ति का पूरा अनुभव करने के लिए सही विधि और योग्य आचार्य का होना अत्यंत आवश्यक होता है।
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