
शनि ग्रह शांति अनुष्ठान
शनि ग्रह शांति अनुष्ठान एक अत्यंत महत्वपूर्ण और प्रभावी प्रक्रिया है, जो व्यक्ति के अशुभ कर्मों का शमन करने और जीवन में शनि ग्रह के कुप्रभावों से मुक्ति दिलाने के लिए की जाती है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, शनि ग्रह व्यक्ति के कर्मों के आधार पर उसे फल देता है, और यदि कुंडली में शनि की स्थिति अशुभ हो, या शनि ग्रह की साढ़ेसाती, ढैया, महादशा, अंतर्दशा या प्रत्यंतर दशा चल रही हो तो जीवन में कई गंभीर व दीर्घकालीन कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में शनि शांति अनुष्ठान उन लोगों के लिए अत्यधिक लाभकारी सिद्ध होता है, जो शनि के दुष्प्रभावों से परेशान हैं और जीवन में शांति, स्थिरता और सफलता प्राप्त करना चाहते हैं।
शनि ग्रह को ज्योतिष में न्याय का प्रतीक माना जाता है। शनि अत्यंत धीमी गति से सभी राशियों पर भ्रमण करते हुए अपना प्रभाव डालते हैं। हालाँकि, जब भी शनि का नाम लिया जाता है, तो लोग अक्सर भयभीत हो जाते हैं। क्योंकि शनि को कर्मफल दाता माना जाता है और वे व्यक्ति को उसके अच्छे और बुरे कर्मों के आधार पर परिणाम देते हैं।
शनि ग्रह का रंग काला, सख्त बाल और कठोर स्वभाव है। शनि ग्रह व्यक्ति के जीवन में हताशा, निराशा और कठिनाइयाँ लाने के लिए प्रसिद्ध है। कुंडली में शनि की अशुभ स्थिति व्यक्ति के जीवन में परेशानियों का पहाड़ खड़ा कर सकती है, विशेषकर जब शनि की महादशा या साढ़ेसाती का प्रभाव हो। ऐसे समय में व्यक्ति को अत्यधिक पीड़ा, निराशा और झूठे आरोपों जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है, जिससे उसका जीवन कठिनाइयों से घिर जाता है।
शनि की मंद गति के कारण जातक के हर कार्य में देरी होने लगती है, जिससे व्यक्ति को जीवन में निराशा और असफलता का अनुभव होता है। कुंडली में शनि की अशुभ स्थिति व्यक्ति के मानसिक, आर्थिक और शारीरिक जीवन पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है। इसलिए, शनि ग्रह के कुप्रभावों से बचने के लिए यह अनुष्ठान अत्यधिक महत्त्वपूर्ण होता है।
शनि शांति अनुष्ठान व्यक्ति के जीवन में शनि के नकारात्मक प्रभावों को शांत करने और सकारात्मक ऊर्जा का संचार करने का एक प्रभावी उपाय है। सही विधि और विशेषज्ञ आचार्यों द्वारा सम्पन्न किया गया यह अनुष्ठान व्यक्ति को मानसिक शांति, आर्थिक स्थिरता और कार्यों में सफलता दिलाने में सहायक होता है। इसके माध्यम से व्यक्ति न केवल शनि के अशुभ प्रभावों से बच सकता है, बल्कि उसे जीवन में सुख, समृद्धि और शांति का अनुभव भी होता है।
शनि ग्रह का प्रभाव
शनि को कर्मफल दाता माना गया है। यह ग्रह व्यक्ति को उसके कर्मों के अनुसार फल देता है। इसकी स्थिति कुंडली में शुभ हो तो व्यक्ति न्यायप्रिय, अनुशासित, परिश्रमी और दृढ़निश्चयी बनता है।
लेकिन यदि शनि अशुभ भाव में हो या दोषग्रस्त हो, तो यह जीवन में भारी समस्याएं लाता है:
• कार्यों में अत्यधिक विलंब और विफलता
• नौकरी या व्यापार में रुकावट
• झूठे आरोप, अपमान या मानसिक पीड़ा
• शारीरिक रोग, विशेषतः वात रोग, जोड़ों का दर्द
• अस्थिरता, अवसाद और हताशा
• शत्रु बाधा और न्यायिक समस्याएं
शनि की महादशा, साढ़ेसाती और ढैय्या के दुष्प्रभावों से राहत पाने के लिए कराएं शनि शांति अनुष्ठान। जानें विधि, लाभ और पूजन सामग्री की जानकारी।
Price : INR 33000/-
By continuing with the payment, you accept and agree to our Anushthan Policy.
400+ Types of Puja
400+ Types of Puja
Have a question?
'Sanatan Jyoti' is dedicated to the welfare of humans and all living beings. To connect with us or for more information, please email us or fill out the form – your message will be responded to promptly.