
कालसर्प दोष निवारण अनुष्ठान
कालसर्प दोष एक ज्योतिषीय स्थिति है जो तब उत्पन्न होती है जब किसी व्यक्ति की कुंडली में सभी ग्रह राहु और केतु के बीच आ जाते हैं। अर्थात कुंडली के एक भाव में राहू और दूसरे भाव में केतु के बैठे होने के कारण अन्य सभी ग्रह इन दोनों ग्रहों के बीच मे फस जाते हैं जिससे उन सभी ग्रहों का प्रभाव कम हो जाता है और वे अपना फल नहीं दे पाते हैं। इस दोष के कारण जीवन में चुनौतियों, बाधाओं और मानसिक तनाव का कारण माना जाता है। यह दोष व्यक्ति के पारिवारिक, सामाजिक और आर्थिक जीवन को प्रभावित कर सकता है।
काल सर्प दोष वाले सभी जातकों पर इस योग का समान प्रभाव नहीं पड़ता है। कौन सी राशि किस भाव में स्थित है और उसमें कौन कौन से ग्रह कहाँ पर स्थित हैं, वें कितना बलवान हैं। इन सभी बातों का जातक पर पूर्ण असर पड़ता है और उसी के अनुसार कालसर्प दोष अपना प्रभाव भी दिखाता है। कालसर्प दोष मुख्यतः 12 प्रकार का होता है-
1.अनंत कालसर्प 2. कुलिक कालसर्प 3. पद्म कालसर्प 4. शंखचूड कालसर्प 5. महापद्म कालसर्प 6. घातक कालसर्प 7. वासुकी कालसर्प 8. तक्षक कालसर्प 9. विषधर कालसर्प 10. शंखपाल कालसर्प 11. कर्कोटक कालसर्प 12. शेषनाग कालसर्प
कालसर्प दोष के लक्षण
1. बार-बार आर्थिक संकट का सामना करना।
2. पारिवारिक विवाद और वैवाहिक जीवन में तनाव।
3. करियर में बाधाएं और अस्थिरता।
4. स्वास्थ्य समस्याएं, विशेष रूप से मानसिक तनाव।
5. निर्णय लेने में कठिनाई और आत्मविश्वास की कमी।
कालसर्प दोष का व्यापक प्रभाव
सामान्यतः कालसर्प दोष जीवन के हर पहलू को प्रभावित कर सकता है और व्यक्ति को विभिन्न प्रकार के संघर्षों का सामना करना पड़ता है। चाहे वह स्वास्थ्य हो, धन की स्थिति हो, व्यवसाय की बाधाएं, प्रेम और विवाह के मुद्दे, संतान से संबंधित समस्याएं, या जीवन के अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्र – कालसर्प दोष अपना बुरा प्रभाव डाल सकता है।
यह समझना अत्यंत महत्वपूर्ण है कि कालसर्प दोष आपके जीवन के किस विशेष क्षेत्र पर नकारात्मक प्रभाव डाल रहा है। इसके लिए कुंडली का गहन और सटीक विश्लेषण आवश्यक है। यह कार्य केवल एक अनुभवी और इस क्षेत्र में दक्ष आचार्य ही कर सकते हैं। वे न केवल दोष का विश्लेषण करेंगे, बल्कि इसके उपाय भी सुझाएंगे जो आपके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन ला सकते हैं।
कालसर्प दोष निवारण अनुष्ठान
कालसर्प दोष जीवन के विभिन्न पहलुओं पर गहरा प्रभाव डाल सकता है, लेकिन इसे सही ज्योतिषीय परामर्श और वैदिक विधियों से पूरी तरह नियंत्रित किया जा सकता है। इस दोष का निवारण एक जटिल प्रक्रिया है, जिसमें वैदिक मंत्रोच्चार, पूजन, और हवन का समावेश होता है। आमतौर पर यह अनुष्ठान किसी पवित्र स्थान, जैसे मंदिर या नदी के तट पर किया जाता है, ताकि इसका अधिकतम लाभ प्राप्त हो सके और दोष का प्रभाव पूरी तरह समाप्त हो सके । परंतु आजकल कुछ ज्योतिषीय मात्र धन कमाने की लालसा में अधूरी और त्रुटिपूर्ण विधियों से पूजन कराते हैं, जिससे न तो राहु-केतु की शांति होती है और न ही कालसर्प दोष का निवारण संभव हो पाता है। इसका परिणाम यह होता है कि जातक जीवनभर संघर्ष और भ्रम में रहता है। अतः यह सुनिश्चित करें कि कालसर्प दोष निवारण के लिए आप केवल अनुभवी और योग्य आचार्यों का ही चयन करें। यदि आप किसी ऐसे आचार्य के संपर्क में नहीं हैं जो इस क्षेत्र में दक्ष हों, तो आप सनातन ज्योति से संपर्क कर सकते हैं। यहां वैदिक मंत्रों और विधियों के साथ दक्ष आचार्य आपकी कुंडली के अनुसार अनुष्ठान करते हैं, जिससे आपको दोष के प्रभाव से मुक्ति मिलती है और जीवन में शांति, समृद्धि और सफलता का आगमन होता है।
कालसर्प दोष निवारण अनुष्ठान का महत्त्व
कालसर्प दोष शांति अनुष्ठान व्यक्ति के जीवन में शांति, धन व व्यापार में समृद्धि और विचलित मन में स्थिरता लाने में सहायक होता है। यह दोष के प्रभाव को कम करता है और सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करता है। यह अनुष्ठान व्यक्ति के जीवन में आने वाले अवरोधों, अड़चनों को दूर कर सफलता की राह प्रशस्त करता है।
कालसर्प दोष से मुक्ति हेतु करें वैदिक पूजन। जानिए लक्षण, प्रभाव, उपाय, पूजन विधि और सामग्री की पूरी जानकारी।
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