
गुरु ग्रह बलिष्ठ अनुष्ठान
गुरु ग्रह बलिष्ठ अनुष्ठान एक विशेष वैदिक प्रक्रिया है, जो बृहस्पति (गुरु) ग्रह को सशक्त बनाकर उसके अशुभ प्रभावों को शांत करने हेतु की जाती है। यह अनुष्ठान व्यक्ति के जीवन में ज्ञान, शिक्षा, संतान, वैवाहिक सुख, धन, धार्मिकता और सकारात्मक दृष्टिकोण को प्रबल करता है। जब कुंडली में गुरु दुर्बल या पीड़ित हो, या उसकी दशा चल रही हो, तब यह अनुष्ठान विशेष रूप से प्रभावी सिद्ध होता है।
गुरु ग्रह, जिसे बृहस्पति के नाम से भी जाना जाता है, ज्ञान के सर्वोच्च प्रदाता माने जाते हैं। यह ग्रह न केवल शिक्षा और बौद्धिक उन्नति का कारक है, बल्कि धन, यश, संतान, धार्मिक कार्यों और पुण्य कर्मों का भी स्वामी है। जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में गुरु का प्रभाव व्यक्ति के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण होता है। इनके अनुकूल प्रभाव से व्यक्ति जीवन की कठिनाइयों से आसानी से उबर सकता है और निरंतर आशावादी बना रहता है। गुरु जातक के जीवन में निराशा को प्रवेश नहीं करने देते और उसे सकारात्मक दृष्टिकोण प्रदान करते हैं, जिससे सफलता स्वतः ही उसके कदम चूमने लगती है और जीवन में खुशियों का संचार होता है।
गुरु का प्रभाव विशेष रूप से विवाह और वैवाहिक सुख के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। विवाह के सफल और सुखमय होने के लिए गुरु का मजबूत और शुभ स्थिति में होना आवश्यक है। यदि कुंडली में गुरु अशुभ स्थिति में हों, तो यह वैवाहिक जीवन में अशांति या समस्याएँ उत्पन्न कर सकता है। इसी प्रकार, शिक्षा के क्षेत्र में भी गुरु का महत्वपूर्ण योगदान है। यदि किसी बालक का पढ़ाई में मन नहीं लगता या शिक्षा में प्रगति नहीं हो रही है, तो इसका प्रमुख कारण गुरु का प्रबल स्थिति में न होना ही है। ऐसे में, गुरु को प्रबल करने के लिए गुरु ग्रह बलिष्ठ अनुष्ठान एक प्रभावी साधन माना जाता है,जो बालक की शैक्षिक उन्नति में सहायक होता है ।
गुरु ग्रह का प्रभाव
बृहस्पति ग्रह को ज्ञान, धर्म, नीति, शिक्षा, धन, संतान सुख और विवाह का प्रतिनिधि माना गया है। गुरु शुभ अवस्था में हो तो व्यक्ति न केवल शिक्षित, विद्वान और प्रतिष्ठित बनता है, बल्कि सामाजिक एवं आध्यात्मिक जीवन में भी समृद्धि प्राप्त करता है।
इसके विपरीत, जब गुरु अशुभ या कमजोर स्थिति में होता है, तो यह व्यक्ति के जीवन में शारीरिक, मानसिक और सामाजिक समस्याएं उत्पन्न करता है:
• शिक्षा में बाधाएं
• संतान संबंधी कष्ट
• विवाह में विलंब या तनाव
• जिगर, गुर्दे, पाचन और त्वचा संबंधी समस्याएं
• जीवन में नकारात्मकता, असमर्थता और दिशाहीनता
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