
मंगल ग्रह शांति अनुष्ठान
मंगल ग्रह शांति अनुष्ठान एक अत्यंत प्रभावशाली वैदिक प्रक्रिया है, जिसका उद्देश्य जातक की कुंडली में स्थित अशुभ मंगल ग्रह के दुष्प्रभावों को शांत करना होता है। वैदिक ज्योतिष में मंगल को "पाप ग्रह" माना जाता है, जो जब अशुभ स्थान पर होता है या उसकी दशा, अंतर्दशा, या प्रत्यंतर दशा सक्रिय हो, तो यह जीवन में अनेक बाधाएं और संकट उत्पन्न कर सकता है। मंगल ग्रह ऊर्जा, साहस, शारीरिक शक्ति और आत्मबल का प्रतीक है, लेकिन जब इसकी स्थिति अनुकूल न हो, तो ये सभी गुण उलटे प्रभाव देने लगते हैं।
मंगल दोष या मांगलिक दोष तब बनता है जब कुंडली के पहले, चौथे, सातवें, आठवें या बारहवें भाव में मंगल स्थित हो। इससे वैवाहिक जीवन में अस्थिरता, तनाव, स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं, कार्यों में विफलता, और क्रोध व आक्रोश जैसी मानसिक स्थितियाँ जन्म ले सकती हैं। यही कारण है कि मंगल शांति अनुष्ठान केवल मांगलिक दोष को शांत करने के लिए ही नहीं, बल्कि जीवन में मंगल ग्रह के कारण उत्पन्न समस्त बाधाओं से मुक्ति के लिए भी किया जाता है।
इस अनुष्ठान की विशेषता यह है कि इसमें 40,000 बार मंगल के वैदिक बीज मंत्रों का जप और दशांश जप के साथ हवन किया जाता है। यह प्रक्रिया केवल प्रशिक्षित आचार्यों द्वारा विधिपूर्वक सम्पन्न की जाती है। अनुष्ठान का उद्देश्य मंगल ग्रह की उग्रता को शांत कर उसे शुभ परिणामदायक बनाना है।
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Price : INR 15000/-
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