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नमक-चमक रुद्राभिषेक

नमक चमक अभिषेक अनुष्ठान

नमक चमक अभिषेक पूजा एक सर्वोपरि अनुष्ठान है। इसे सनातन धर्म में सभी अनुष्ठानों में से सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। भगवान शिव को कंद,मूल ,फूल और पवित्र पूजा सामग्री के साथ पंचरत्नों से स्नान कराकर रुद्राभिषेक पूजा की जाती है। रुद्रअष्टाध्यायी के पंचम अध्याय के मंत्रों मे नमः शब्द की अधिकता के कारण इसे नमकाध्याय कहते है। इस पाठ की शुरुआत “नमस्ते “ शब्द से हुई है ।रुद्रअष्टाध्यायी के पाँचवे अध्याय में 66 मंत्र है। विद्वान इस अध्याय को प्रधान अध्याय व “शतरुद्रीय“अध्याय भी कहते है । इस अध्याय के मंत्रों में भगवान रुद्र के सैकड़ों रूप वर्णित किए गए है । इसी तरह आठवें पाठ में “च” और “म” वर्ण का बार बार प्रयोग हुआ है इसलिए इस अध्याय को चमकाध्याय कहा जाता है।

रुद्रअष्टाध्यायी के पंचम और अष्टम अध्याय की ग्यारह बार आवृत्तिया के साथ शिव जी का अभिषेक करना ही नमक चमक रुद्राभिषेक कहलाता है ।

सभी इच्छाओं को पूरा करने के लिए केवल सदाशिव रुद्र की पूजा करने से सभी देवता स्वतः ही खुश हो जाते हैं।

नमक चमक का पाठ बहुत अहम है, और इस अनुष्ठान से भगवान शिव तुरंत प्रसन्न होते हैं।

नमक चमक रुद्राभिषेक अनुष्ठान किसे कराना चाहिए ?

कभी कभी ऐसा होता है कि मनुष्य कुछ ऐसे रोगों से ग्रसित हो जाता है जो लाइलाज एवम असाध्य होते है या फिर ऐसा होता है कि व्यक्ति इलाज तो करता है परंतु उसे उसका कोई लाभ नहीं मिलता है या फिर व्यक्ति से अनजाने मे कुछ ऐसे पाप हो जाते जिनका प्रायश्चित नहीं किया जा सकता है निरंतर व्यक्ति के जीवन में अकाल मृत्यु जैसे भय बने रहते हो , व लंबे समय से चले आ रहे मुकदमों से परेशान हो तो ऐसे व्यक्तियों को नमक चमक रुद्राभिषेक अनुष्ठान अवश्य कराना चाहिए । इस अनुष्ठान के फल को लेकर जातक को तनिक भी संदेह नहीं करना चाहिए क्यूंकि वायु पुराण मे भी नमक चमक रुद्राभिषेक की महिमा का वर्णन करते हुए कहा गया है कि इस अनुष्ठान को करने से मनुष्य ब्रह्मलोक मे प्रतिष्ठा प्राप्त करता है । जो व्यक्ति अपने शरीर पर भस्म लगाकर या इंद्रियों को नियंत्रित करके नियमित रूप से इस अनुष्ठान को करता है, वह रोग और पाप से मुक्त होकर अनूठे सुख को प्राप्त करता है।

नमक-चमक रुद्राभिषेक

असाध्य रोग, पितृ दोष और कालसर्प दोष से मुक्ति के लिए कराएं नमक-चमक रुद्राभिषेक। जानें विधि, लाभ और सामग्री की संपूर्ण जानकारी।

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