Sanatan Logo
Ganesh Logo
Sharad Purnima

शरद पूर्णिमा 2024 | Sharad Purnima 2024

शरद पूर्णिमा प्रत्येक वर्ष अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है, जो भारतीय पंचांग की 12 पूर्णिमा तिथियों में से एक है। लेकिन सनातन परंपरा में इस पूर्णिमा को विशेष महत्व दिया जाता है। इस दिन, श्रद्धा और भक्ति के साथ माता लक्ष्मी जी का पूजन करना अत्यंत फलदायी माना जाता है।

नारद पुराण के अनुसार, इस पूर्णिमा को 'कोजागरव्रत' भी कहा जाता है। इसे कोजागर व्रत इसलिए भी कहते हैं क्योंकि कहा जाता है कि इस पूर्णिमा तिथि पर माता लक्ष्मी स्वयं धरती पर यह देखने के लिए विचरण करती है कि उनके कौन कौन भक्त जाग रहे है और उनकी साधन में लीन हैं। इस दिन का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि यह अवसर भक्तों को माँ लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने का सुनहरा अवसर प्रदान करता है।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, समुद्रमंथन के दौरान माता लक्ष्मी प्रकट हुई थीं। इस दिन माँ लक्ष्मी के पूजन एवं व्रत से भक्तों को धन-समृद्धि की प्राप्ति होती है और वे ऋण से मुक्त हो जाते हैं। शरद पूर्णिमा की रात, देवी लक्ष्मी की कृपा से हर घर में समृद्धि और खुशियों की बहार होती है।

शरद पूर्णिमा 2024 तारीख:-

  • खीर बनाने की शुभ पूर्णिमा तिथि: 16 अक्टूबर 2024, दिन बुधवार
  • स्नान, दान और व्रत की पूर्णिमा तिथि: 17 अक्टूबर 2024, दिन गुरुवार

इस वर्ष शरद पूर्णिमा की तिथि में कुछ विशेष उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहे हैं। शरद पूर्णिमा 16 अक्टूबर 2024, बुधवार को रात 8:40 बजे से शुरू होगी और यह अगले दिन, 17 अक्टूबर 2024, गुरुवार को शाम 4:55 बजे तक मान्य रहेगी।

16 अक्टूबर, बुधवार की रात को शरद पूर्णिमा का प्रारंभ होने के कारण, इसी रात को खीर बनाना और चंद्रमा की रोशनी में रखना अत्यंत शुभ माना जाएगा। वहीं, 17 अक्टूबर, गुरुवार को सुबह से शाम 4:55 बजे तक पूर्णिमा की मान्यता रहेगी, जिसके अनुसार इस दिन स्नान, दान, और व्रत का विशेष महत्व रहेगा।

इस प्रकार, 2024 की शरद पूर्णिमा दोनों दिनों में विशेष रूप से मनाई जाएगी, जहां एक दिन चंद्रमा की रोशनी में खीर बनाने का महत्व होगा वहीं दूसरे दिन व्रत, स्नान और दान का पुण्यफल प्राप्त किया जाएगा।

पूजा विधि :-

सबसे पहले प्रातःकाल स्नान कर पवित्र मन से व्रत का संकल्प लें। पूजा स्थल को स्वच्छ कर माता लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करें। धूप, दीप, फूल और चंदन से विधिपूर्वक पूजा करें। इसके बाद शरद पूर्णिमा व्रत कथा का पाठ करें, जो इस दिन की महिमा और महत्व को बताती है। रात्रि में खीर बनाकर उसे खुले आसमान के नीचे चंद्रमा की रोशनी में रखें। अगले दिन सुबह खीर को देवी लक्ष्मी और चंद्र देवता को भोग लगाएं। माता लक्ष्मी की आरती करने के बाद खीर को प्रसाद रूप में सभी को वितरित करें। अंत में गरीबों और जरूरतमंदों को दान करें।

यह लक्ष्मी पूजा पारंपरिक रूप से घरों में की जाने वाली पूजा विधि है यदि आप विस्तृत रूप से वैदिक विधि द्वारा लक्ष्मी जी का पूजन करना चाहते हैं तो आप हमारे ब्लॉग सेक्शन में जाकर लक्ष्मी पूजन विधि देखें या नीचे दिए गए लिंक पर जाए और यदि फिर भी पूजन करने में असमर्थ है तो हमसे संपर्क करें-

https://www.sanatanjyoti.com/Blog/-sharad-purnima-/1005

इस शरद पूर्णिमा पर, अपनी मनोकामनाओं के साथ माता लक्ष्मी की पूजा करें और उनकी कृपा से जीवन में धन, समृद्धि और खुशियों का आशीर्वाद प्राप्त करें। यह पर्व आपके जीवन को सुख और समृद्धि से भर दे!

Book Anushthan
talkToAstrologer
Free Match Making
muhuratConsultation
DownloadKundli
Youtube
Facebook
Instagram
Astrologer
whatsapp-icon