शरद पूर्णिमा प्रत्येक वर्ष अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है, जो भारतीय पंचांग की 12 पूर्णिमा तिथियों में से एक है। लेकिन सनातन परंपरा में इस पूर्णिमा को विशेष महत्व दिया जाता है। इस दिन, श्रद्धा और भक्ति के साथ माता लक्ष्मी जी का पूजन करना अत्यंत फलदायी माना जाता है।
नारद पुराण के अनुसार, इस पूर्णिमा को 'कोजागरव्रत' भी कहा जाता है। इसे कोजागर व्रत इसलिए भी कहते हैं क्योंकि कहा जाता है कि इस पूर्णिमा तिथि पर माता लक्ष्मी स्वयं धरती पर यह देखने के लिए विचरण करती है कि उनके कौन कौन भक्त जाग रहे है और उनकी साधन में लीन हैं। इस दिन का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि यह अवसर भक्तों को माँ लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने का सुनहरा अवसर प्रदान करता है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, समुद्रमंथन के दौरान माता लक्ष्मी प्रकट हुई थीं। इस दिन माँ लक्ष्मी के पूजन एवं व्रत से भक्तों को धन-समृद्धि की प्राप्ति होती है और वे ऋण से मुक्त हो जाते हैं। शरद पूर्णिमा की रात, देवी लक्ष्मी की कृपा से हर घर में समृद्धि और खुशियों की बहार होती है।