नरक चतुर्दशी या नरक चौदस कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनायी जाती है। इसे छोटी दिवाली के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि नरक चौदस दिवाली के एक दिन पहले मनाया जाता है। नरक चौदस को दीपदान करने से अकाल मृत्यु नहीं होती है। प्रवेश द्वार या नाबदान (वह नाली जिससे होकर घर का गंदा पानी बाहर बहकर जाता है) के पास सरसों के तेल का दीपक जलाने से यमदेव जी की कृपा प्राप्त होती है। नरक चतुर्दशी को लेकर धार्मिक मान्यता यह भी है कि इस दिन भगवान श्री कृष्ण जी ने नरकासुर नामक राक्षस का वध किया था और लगभग सोलह हजार एक सौ गोपियों को उस दुष्ट राक्षस के बंधन से मुक्त किया था अर्थात भगवान श्री कृष्ण ने गोपियों को नरकीय जीवन से मुक्ति दिलाई थी। इस दिन सूर्यास्त के बाद दक्षिण दिशा की ओर चार मुख वाला दीपक जलाकर हाथ जोड़कर यमदेव जी से प्रार्थना की जाती है। ऐसा करने से नरक के भय से मुक्ति मिलती है, मन शांत रहता है और मन में किसी भी प्रकार की बेचैनी नहीं रहती। काम, क्रोध और लोभ ये नरक के तीन द्वार बताए गए है, यमराज जी की इस दिन पूजा करने से मनुष्य कामरहित, क्रोधहीन और लोभहीन हो जाता है। इस दिन सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए क्योंकि कार्तिक मास की अमावस्या को दिवाली मनायी जाती है और लक्ष्मी जी का आगमन होता है इसलिए घर में किसी भी प्रकार की गंदगी नहीं होनी चाहिए।
आईए जानते है इस वर्ष कब मनाया नरक चतुर्दशी या छोटी दीपावली का पर्व?