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Narak-Chaturdarshi

नरक चतुर्दशी 2024 | छोटी दिवाली 2024 |Narak Chaturdashi 2024 | Choti Diwali 2024

नरक चतुर्दशी या नरक चौदस कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनायी जाती है। इसे छोटी दिवाली के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि नरक चौदस दिवाली के एक दिन पहले मनाया जाता है। नरक चौदस को दीपदान करने से अकाल मृत्यु नहीं होती है। प्रवेश द्वार या नाबदान (वह नाली जिससे होकर घर का गंदा पानी बाहर बहकर जाता है) के पास सरसों के तेल का दीपक जलाने से यमदेव जी की कृपा प्राप्त होती है। नरक चतुर्दशी को लेकर धार्मिक मान्यता यह भी है कि इस दिन भगवान श्री कृष्ण जी ने नरकासुर नामक राक्षस का वध किया था और लगभग सोलह हजार एक सौ गोपियों को उस दुष्ट राक्षस के बंधन से मुक्त किया था अर्थात भगवान श्री कृष्ण ने गोपियों को नरकीय जीवन से मुक्ति दिलाई थी। इस दिन सूर्यास्त के बाद दक्षिण दिशा की ओर चार मुख वाला दीपक जलाकर हाथ जोड़कर यमदेव जी से प्रार्थना की जाती है। ऐसा करने से नरक के भय से मुक्ति मिलती है, मन शांत रहता है और मन में किसी भी प्रकार की बेचैनी नहीं रहती। काम, क्रोध और लोभ ये नरक के तीन द्वार बताए गए है, यमराज जी की इस दिन पूजा करने से मनुष्य कामरहित, क्रोधहीन और लोभहीन हो जाता है। इस दिन सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए क्योंकि कार्तिक मास की अमावस्या को दिवाली मनायी जाती है और लक्ष्मी जी का आगमन होता है इसलिए घर में किसी भी प्रकार की गंदगी नहीं होनी चाहिए।

आईए जानते है इस वर्ष कब मनाया नरक चतुर्दशी या छोटी दीपावली का पर्व?

  • नरक चतुर्दशी तिथि 2024| Narak Chaturdashi date 2024 – 30 अक्टूबर 2024
  • दीप जलाने का शुभ मुहूर्त- शाम 05:46 बजे से शाम 07 :02 बजे तक
  • चतुर्दशी प्रारंभ तिथि - 30 अक्टूबर 2024 को अपराह्न 01:15 बजे से
  • चतुर्दशी समापन तिथि- 31 अक्टूबर 2024 को दोपहर 03:52 बजे तक

चूंकि नरक चौदस पर शाम अर्थात सूर्य अस्त हो जाने के बाद दीप जलाया जाता है लेकिन 31 अक्टूबर 2024 चतुर्दशी तिथि दोपहर में 03:52 बजे ही समाप्त हो जाएगी, इसलिए नरक चौदस या छोटी दीपावली का पर्व 30 अक्टूबर 2024 को मनाया जाएगा।

नरक चौदस या छोटी दीवाली की पूजा विधि :-

नरक चौदस या छोटी दीपावली के दिन मृत्यु के देवता यम को प्रसन्न करने एवं उनसे अकाल मृत्यु के सभी भय को दूर करने की प्रार्थना हेतु श्रद्धापूर्वक दीप दान किया जाता है। अतः इस पर्व में पूजन आप अपने रीतिरिवाजों के अनुसार कर सकते हैं। यदि आप चाहें, तो हम यहाँ पर एक सामान्य विधि बता रहे हैं जिसके अनुसार भी आप पूजन कर सकते हैं। त्रयोदशी तिथि के दिन, स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और संध्या के समय घर के मुख्य द्वार पर सरसों के तेल का दीपक जलाएं, जिसमें चार बत्तियाँ हों। यह दीपक दक्षिण दिशा में रखें, क्योंकि यह दिशा यमराज से जुड़ी मानी जाती है। इस दीप प्रज्वलन के साथ यमराज और अन्य अपने इष्ट देवताओं से दीर्घायु, स्वस्थ जीवन, और परिवार की सुरक्षा की प्रार्थना करें, ताकि जीवन में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहे।

पूजन का महत्त्व:-

नरक चौदस का अनुष्ठान अकाल मृत्यु के भयानक भय को समाप्त करता है और यमराज के नाम से दीप जलाने से घर में सुख और शांति का वातावरण निर्मित होता है। यह पूजा हमें हमारे कर्मों के प्रति सजग बनाती है और हमें सच्चाई और नैतिकता के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करती है। यमराज की आराधना से परिवार के सभी सदस्यों को दीर्घायु का आशीर्वाद मिलता है। इस प्रकार, यह पर्व एक संपूर्ण और समृद्ध जीवन के लिए अनमोल फल प्रदान करता है,जिससे जीवन में शांति स्थापित हो सके।

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