कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को मनाई जाने वाली गोवर्धन पूजा सनातन परंपरा के सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक मानी जाती है। इस दिन को अन्नकूट के नाम से भी जाना जाता है और इसका गहरा संबंध भगवान श्री कृष्ण की उस दिव्य लीला से है, जब उन्होंने इंद्रदेव के क्रोध से ब्रजवासियों की रक्षा की थी। कथा के अनुसार, जब इंद्रदेव ने लगातार बारिश करके ब्रजभूमि को संकट में डाल दिया, तो भगवान श्री कृष्ण ने अपनी छोटी उंगली पर गोवर्धन पर्वत(Govardhan hill) उठा लिया और पूरे गाँव को उस बारिश से सुरक्षित रखा।
यह दिन प्रकृति, पशुधन और भगवान श्री कृष्ण के प्रति आस्था व्यक्त करने का पर्व है। गोवर्धन पूजा में भगवान श्री कृष्ण, गोवर्धन पर्वत और गायों की पूजा विशेष रूप से की जाती है। गोवर्धन पर्वत के प्रतीक के रूप में घर के आँगन में गोबर से आकृतियाँ बनाई जाती हैं और उनकी पूजा की जाती है। इस पूजा के माध्यम से हम भगवान श्री कृष्ण की अनेक लीलाओं का स्मरण करते हुए प्रकृति और पशुधन के महत्व को समझते हैं।
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