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गोवर्धन पूजा 2024- Govardhan puja 2024

कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को मनाई जाने वाली गोवर्धन पूजा सनातन परंपरा के सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक मानी जाती है। इस दिन को अन्नकूट के नाम से भी जाना जाता है और इसका गहरा संबंध भगवान श्री कृष्ण की उस दिव्य लीला से है, जब उन्होंने इंद्रदेव के क्रोध से ब्रजवासियों की रक्षा की थी। कथा के अनुसार, जब इंद्रदेव ने लगातार बारिश करके ब्रजभूमि को संकट में डाल दिया, तो भगवान श्री कृष्ण ने अपनी छोटी उंगली पर गोवर्धन पर्वत(Govardhan hill) उठा लिया और पूरे गाँव को उस बारिश से सुरक्षित रखा।

यह दिन प्रकृति, पशुधन और भगवान श्री कृष्ण के प्रति आस्था व्यक्त करने का पर्व है। गोवर्धन पूजा में भगवान श्री कृष्ण, गोवर्धन पर्वत और गायों की पूजा विशेष रूप से की जाती है। गोवर्धन पर्वत के प्रतीक के रूप में घर के आँगन में गोबर से आकृतियाँ बनाई जाती हैं और उनकी पूजा की जाती है। इस पूजा के माध्यम से हम भगवान श्री कृष्ण की अनेक लीलाओं का स्मरण करते हुए प्रकृति और पशुधन के महत्व को समझते हैं।

गोवर्धन पूजा से संबंधित पूर्ण कथा एवं उसके विषय में विस्तृत रूप से जानने के लिए हमारे ब्लॉग सेक्शन में जाएँ या नीचे दिए गए लिंक पर जाएँ - https://www.sanatanjyoti.com/Blog/-gowardhan-puja-annakut-/1390

आईए जानते है इस वर्ष कब मनाया जाएगा गोवर्धन पूजा का पावन पर्व?- govardhan puja 2024 kab hai

2024 में गोवर्धन पूजा की तिथि और मुहूर्त- govardhan puja 2024 date and time

  • तिथि : 02 नवंबर 2024, शनिवार
  • प्रातः कालीन पूजन मुहूर्त : सुबह 07:30 से 09:40 बजे तक
  • सायंकालीन पूजन मुहूर्त :सायं 04:12 से 05:39 बजे तक
  • प्रतिपदा तिथि प्रारंभ : 01 नवंबर 2024 को सायं 06:16 बजे
  • प्रतिपदा तिथि समाप्त : 02 नवंबर 2024 को रात्रि 08:30 बजे

गोवर्धन पूजा का महत्व:

गोवर्धन पूजा को घर में समृद्धि और सुख-शांति लाने वाला पर्व माना जाता है। इस दिन गोवर्धन की पूजा करने से परिवार में खुशहाली बनी रहती है और अन्न का कभी अभाव नहीं होता। विशेष रूप से इस दिन अन्नकूट का भोग लगाया जाता है, जिसमें विभिन्न सब्जियों को मिलाकर एक विशेष व्यंजन तैयार किया जाता है। इसे भगवान श्री कृष्ण और गोवर्धन पर्वत को अर्पित किया जाता है।

धार्मिक मान्यता के अनुसार, गोवर्धन पूजा से प्राकृतिक आपदाओं, विशेषकर अनावृष्टि और अतिवृष्टि से बचाव होता है। यह पूजा जीवन में संतुलन बनाए रखने और हर प्रकार की विपदा से रक्षा करने में सहायक मानी जाती है।

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