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Dhanteras

धनतेरस 2024 | Dhanteras 2024

दिवाली एक दिन का त्योहार नहीं है। यह पूरे पाँच दिन तक चलने वाला त्योहार है। दिवाली पर्व की शुरुआत धनतेरस से हो जाती है और भाई दूज के दिन समाप्त होती है। कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को धनतेरस मनाया जाता है और दिवाली का पर्व इस दिन से शुरू हो जाता है। विष्णु पुराण के अनुसार धनतेरस का संबंध भगवान धन्वंतरि से है। धन्वंतरि का प्राकट्य समुद्र मंथन के दौरान हुआ था। समुद्र मंथन में धन्वंतरि जी अमृत का कलश लेकर प्रकट हुए थे इसलिए इस दिन बर्तन खरीदने का विशेष महत्व है। धनतेरस वाले दिन कलश खरीदना शुभ माना जाता है। इस दिन सोना चाँदी खरीदना बहुत ही शुभकारी होता है। पुराणों के अनुसार धन्वंतरि जी भगवान विष्णु की तपस्या में लीन हो गए थे इसलिए उन्हे विष्णु का ही अवतार माना जाता है। शरद पूर्णिमा को चंद्रमा, कार्तिक द्वादशी को कामधेनु गाय, त्रयोदशी को धन्वंतरि, चतुर्दशी को काली माता और अमावस्या को देवी लक्ष्मी जी समुद्र से प्रकट हुई थीं इसीलिए दिवाली से दो दिन पहले धनतेरस मनाया जाता है। धन्वंतरि को देवताओं का चिकित्सक बताया गया है इसका शाब्दिक अर्थ है सभी रोगों का नाश करने वाले देव वैद्य। धनतेरस के दिन इनकी पूजा करने से शरीर के सभी रोग नष्ट हो जाते है। उन्हें आयुर्वेद का संस्थापक और चिकित्सा का देवता माना जाता है। धन्वंतरि आपके जीवन में स्वास्थ्य समृद्धि लाते हैं। धार्मिक मान्यता है कि धन्वंतरि की पूजा करने से रोगों से मुक्ति मिलती है और आरोग्य की प्राप्ति होती है।

आईए जानते है इस वर्ष धनतेरस का पर्व कब मनाया जाएगा?

  • धनतेरस तिथि 2024| Dhanteras date 2024 – 29 अक्टूबर 2024
  • धनतेरस पूजा शुभ मुहूर्त- 29 अक्टूबर 2024 शाम 06:31बजे से रात्रि 08:13बजे तक
  • त्रयोदशी प्रारंभ तिथि - 29 अक्टूबर 2024 को प्रातः 10:31बजे
  • त्रयोदशी समापन तिथि- 30 अक्टूबर 2024 को दोपहर 01:15 बजे

त्रयोदशी तिथि का आरंभ मंगलवार, 29 अक्टूबर 2024 को सुबह 10:31 बजे होगा, और इसका समापन बुधवार, 30 अक्टूबर 2024 को दोपहर 1:15 बजे होगा। जबकि पूजन का शुभ मुहूर्त शाम 06:31बजे से रात्रि 08:13बजे तक का है अतः ऐसी स्थिति में धनतेरस का पर्व 29 अक्टूबर को धूमधाम से मनाया जाएगा।

धनतेरस के दिन पूजा करने से पहले यह जानना जरूरी होता है कि इस दिन किस देवता की पूजा करे? किस देवता की पूजा करने से किस फल की प्राप्ति होती है?

लक्ष्मी पूजा-इस दिन माता लक्ष्मी जी की पूजा करने का विशेष महत्व है। माता लक्ष्मी भय और शोक से मुक्ति दिलाती है। माता लक्ष्मी की कृपा से मनुष्यों को धन-धान्य तथा सभी प्रकार के सुख प्राप्त होते है। देवी के आशीर्वाद से निरोग काया और लंबी आयु प्राप्त होती है। इसलिए इस दिन माता लक्ष्मी जी की पूजा करनी चाहिए।

कुबेर पूजा-इस दिन कुबेर जी की पूजा का विशेष महत्व है, कुबेर जी धन के देवता है। ये आसुरी शक्तियों का नाश करते है। इसलिए धन प्राप्ति की इच्छा से भगवान कुबेर की पूजा इस दिन की जाती है।

धन्वंतरि पूजा-इस दिन धन्वंतरि की पूजा करने से विशेष लाभ मिलता है। कहा जाता है इस दिन सोना चांदी खरीदने से घर की संपत्तियों मे दिन प्रतिदिन वृद्धि होती है। इसी दिन समुद्र मंथन से आयुर्वेद के जनक भगवान धन्वंतरि अमृत से भरा कलश लेकर प्रकट हुए थे। कलश के अमृत का सेवन करके देवता अमर हो गए थे इसलिए इस दिन इनकी पूजा करने से आयु और स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है।

धनतेरस की प्रचलित कथा के विषय में जानने के लिए हमारे ब्लॉग पर जाएं या नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें- https://www.sanatanjyoti.com/Blog/-dhan-teras-/1392

धनतेरस पर खरीदारी का महत्व:-

धनतेरस पर बर्तन और सोना-चांदी के अलावा वाहन, जमीन और अन्य घरेलू सामान खरीदना शुभ माना जाता है। कहा जाता है कि धनतेरस पर खरीदी गई चल-अचल संपत्ति में 13 गुना वृद्धि होती है। धनतेरस पर सोना, चांदी और बर्तन खरीदना कुबेर यंत्र के बराबर है। इस दिन साबुत धनिया घर लाने की परंपरा है, धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि, माता लक्ष्मी, कुबेर की पूजा अवश्य करनी चाहिए। धनतेरस के दिन घर के अंदर और बाहर 13 दीपक जलाए जाते हैं। रात भर दीपक जलने से मनुष्य के शारीरिक स्वास्थ्य में वृद्धि होती है।

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